केवलज्ञान कल्याणक
केवलज्ञान कल्याणक…. जगद्बंधु वर्द्धमान भगवान ने निग्र्रंथ मुद्रा में नगर, वन आदि में विहार करते हुये छद्मस्थ अवस्था के बारह वर्ष व्यतीत कर दिये। श्री पूज्यपाद स्वामी कहते हैं- ग्रामपुरखेटकर्वट-मटम्बघोषाकरान् प्रविजहार। उग्रैस्तपोविधानैद्र्वादशवर्षाण्यमरपूज्यः।। देवों द्वारा पूज्य भगवान महावीर ने उग्र-उग्र तपश्चरण करते हुये ग्राम, पुर, खेट कर्वट, मटम्ब, पत्तन, घोष, आकर आदि स्थलों में विहार करते…