तेरहदीप विधान
तेरहदीप विधान
शिक्षास्पद कहानियाँ (भाग-2) छोटी माताजी के विख्यात पूज्य आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने इस पुस्तक में सप्त व्यसनों से होने वाली हानियों के बारे में छोटी – छोटी वार्ता के माध्यम से बताया है | वस्तुतः ये व्यसन किसीभी प्रकार हितकर नहीं हैं अपितु उसी प्रकार हैं जिस प्रकार भयंकर खुजली के होने पर व्यक्ति…
श्री धर्मचक्र विधान प्रस्तुत धर्मचक्र विधान परम पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की लघु भगिनी परम पूज्य चारित्रश्रमणी आर्यिका श्री अभयमती माताजी द्वारा लिखित एक अलौकिक कृति है | इस विधान में भगवान में समवसरण आदि का वर्णन है , समवसरण में धर्मचक्र सर्वाण्ह यक्ष के शिर पर सुशोभित रहता है | यह धर्मचक्र तीर्थंकर…
क्या धनवान होने से सुखी कहलाते हैं? आज समाचार पत्र में पढ़ा की विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति धनवान होने के बावजूद सुखी नहीं है और न रहे जबकि सामान्य तौर पर पूरी दुनिया धन को कमाने में पागल हो रही है और है मैं यहाँ यह बताना चाहूंगा की संसार में जितनी भी बाह्य…
स्वयं की प्रशंसा न करें Avoid Self Praise प्रेरक प्रसंग महाभारत में एक प्रसंग है। एक बार अर्जुन युधिष्ठर को क्रोधावेश में भला बुरा कह देते हैं किन्तु थोड़ी देर में वे अत्यंत दुःखी होकर अपनी तलवार निकालकर स्वयं को मारना चाहते हैं यह देख कृष्ण उनसे पूछते हैं। तुम यह कृत्य क्यों करना चाहते…