परिपूर्णेन्द्रिय!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परिपूर्णोंद्रिय One with perfectly and fully developed sense organs. जिनके पाॅचो इन्द्रियाॅ पूर्ण हो चुकी है ऐसे पंचेन्द्रिय मनुष्य देव आदि जीव।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परिपूर्णोंद्रिय One with perfectly and fully developed sense organs. जिनके पाॅचो इन्द्रियाॅ पूर्ण हो चुकी है ऐसे पंचेन्द्रिय मनुष्य देव आदि जीव।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परिनिष्क्रमण An auspicious event of initiation (related to the intiation ceremony of Lord). दीक्षा कल्याणक।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परिषह Affections-there are 22 types of affictions to be borne by Jaine Saints. मार्ग से च्यु न होने के लिए और कर्मों की निर्जरा के लिए जो सहन करने योग्य बाधाएॅ, ये 22 प्रकार की होती है। क्षुधा, पिपासा, शीत, उष्ण, दंश-मशक, नाग्न्य, अरति, स्त्री, चर्या, शया, निषद्य, आक्रोश, वध, याचना, अलाभ, अदर्शन,…
(२) सम्यग्दर्शन के कारण क्षायिकदृष्टिलब्ध्यै या, सामग्रयार्षे प्ररूपिता। सा मे भूयात्त्वरं देव!, युष्मत्पादप्रसादत:।।१।। क्षायिक सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के लिये जो सामग्री आर्षग्रंथों में कही गई है। हे भगवन्! आपके चरण कमल के प्रसाद से वह मुझे शीघ्र ही प्राप्त होेवे। मार्ग और मार्ग का फल ये दो प्रकार ही जिनशासन मेें कहे गए हैं।…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परिपीड़ित A faulty conduct while meditative relaxation or paying reverence to lord. कायोत्सर्ग अथवा वंदना करते समय जंधाओ का स्पर्श करना परिपीड़ित नाम का दोष कहलाता है।
पुरुषार्थ साधना की सिद्धि-पंचकल्याणक परम पूज्य आचार्य 1०5 श्री वरदत्तसागर हित, उत्थान, पवित्र आदि का नाम कल्याण है । संसार का प्रत्येक प्राणी अपना कल्याण चाहता है क्योंकि सभी के लिए प्रिय है । जो जीव अच्छे कार्य करेगा, पुण्य कार्य करेगा उसी का कल्याण होगा । कल्याण और कल्याण करने वाला कोई नहीं है,…
रक्षा बंधन पर्व कथा प्रस्तुति—श्रीमती त्रिशला जैन, लखनऊ शम्भु छंद रक्षाबंधन पर्वराज की सुनो कथा है मनोहारी। विष्णु मुनि वामन बन करके हुए उपद्रव परिहारी।। एक शिखर पर ध्यान रुढ़ थे महामुनि अवधिज्ञानी। इस नक्षत्र कांपता देखा मुख से आह ध्वनि निकली।।१।। पास में एक क्षुल्लक बैठे थे उनके यह ध्वनि कान पड़ी। सविनय नमस्कार…
नेमि—राजुल का वैराग्य तर्ज—एक था गुल और एक थी बुलबुल ………….. सूत्रधार— सुनो बन्धुओं ! आज तुम्हें रोमांचक कथा सुनाते हैं। नेमिप्रभू और राजुल के वैराग्य का दृश्य दिखाते हैं।। शौरीपुर के राजा जिनका, नाम समुद्रविजय जी था। मात शिवादेवी का अतिशय पुण्य जिन्हें सौभाग्य मिला।। तीर्थंकर के मात—पिता की गौरव गाथा गाते हैं।…