भजन
भजन…. तर्ज—हे वीर तुम्हारे……… हे प्रभुवर! तेरी प्रतिमा ही तेरा अन्तर दर्शाती है। यह नग्न दिगम्बर मुद्रा ही प्राकृतिक रूप दर्शाती है।। टेक.।। बिन बोले ही इस काया से मुक्ती का पथ बतलाते हो। निज मन्द मन्द मुस्कानों से मानो खुशियाँ झलकाते हो।। तव मूर्ति अचेतन होकर भी चेतन को पथ दर्शाती है। यह नग्न…