वीर्य चर्या!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर्य चर्या –ViryaCarya. See – ViraCarya देखे – वीर्य चर्या
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर्य चर्या –ViryaCarya. See – ViraCarya देखे – वीर्य चर्या
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीर्य –Virya Vitality, Potency, Spiritual power, शक्ति, गुण, आत्मा का बल जिसको विर्यातराय कर्म ढकता हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरासन –Virasana. A posture of meditation. ध्यान या कायोत्सर्ग के योग्य एक आसन ” दक्षिण पैर रखना ” अपरनामपश्चाशन “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरागंज मुनि –Virangaja Muni Name of the last Jaina saint of PanchamKal (the 5th time – cycle of universe). पंचम काल के अंत में होने वाले अंतिम दिगम्वर जैन साधू ” जो पंचम काल के अंत में राजा द्वारा आहार का प्रथम ग्रास शुल्क के रूप में मांगे जाने पर अंतराय मानकर…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरसेना –Virasena. Mother’s name of the 7thJaina – Lord of Susima city of Videh (region). विदेहक्षेत्रस्थ सुसीमा नगरी के ७ वें तीर्थकर ऋषभानन की माता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शेषवत अनुमान – Sheshvata Anumaan. Right anticipation of something by only partial observation of it . एक अवयव को देखने पर भी शेष अनेक अवयवों सहित सम्पूर्ण वास्तु का ज्ञान होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरसेन –Virasena Name of the disciple of Ramsen, Name of the disiciple of Brahmasen. माथुरसंघ के अनुसार रामसेन के शिष्य और आचार्य देवसेन के गुरु ” समय – ई. ८८३ –९२३ ” लाड़बागड़ गच्छ के अनुसार ब्रम्हसेन के शिष्य और गुणसेन के गुरु थे ” समय – ई. १०४८ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरसेन –Virasena Name of a great Jain Acharya, the writer of commentary on great treatises (Shatkhandagam and Kashaypahud) पंचस्तूप संघ के आर्यनदी के शिष्य और जिनसेन के गुरु “आपने षटखण्डागम तथा कषायपाहुड सिध्दांत ग्रंथो पर धवला व जयधवला नाम की विस्तृत टिकायें लिखीं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शृंगारार्णवचंद्रिका – Shringaaraarnachandrikaa. Name of a poetic composition composed by Vijayavarni. विजयवर्णी कृत एक काव्य शिक्षा छंद अलंकार विषयक संस्कृत भाषाबद्ध एक कृति “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीरसागर (आचार्य) –Virasagara (Acarya) Name of the first disciple of CharitraChakravartiAcharyaShriShantisagarjiMaharaj in his Acharya tradition. चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शान्तिसागर महाराज के प्रथम शिष्य एवं उनकी परम्परा में पटाटाघीश आचार्य ” जन्म – सन १८७६ में आषाढ शुक्ला १५ (गुरु पूर्णिमा ) एवं समाधि – संन १९५७ आश्विन कृ. अमावस ” सन…