विहार!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विहार –Vihara. Movement of Jaina saints on foot from one place to another. गमन, एक स्थान पर रहने से राग बढ़ता है इसलिए जैन साधु विहार करते हैं ” वर्षायोग के अतिरिक्त अधिक काल एक स्थान पर नहीं ठहरते “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विहार –Vihara. Movement of Jaina saints on foot from one place to another. गमन, एक स्थान पर रहने से राग बढ़ता है इसलिए जैन साधु विहार करते हैं ” वर्षायोग के अतिरिक्त अधिक काल एक स्थान पर नहीं ठहरते “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विहायोद्विक –Vihayodvika. A type of dyad pertaining to the praised & non-praised spatial movement. प्रशस्त और अप्रशस्त विहायोगति “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विहायोगति (नामकर्म) –Vihayogati (Namakarma). A type of karmic nature causing spatial move-ment. नामकर्म की एक प्रकृति, जिसके उदय से जीव का आकाश में शुभ व अशुभ गमन हो “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्रसोपचय –Visrasopachaya. Natural Karmic attendants; natural aggregation of karmic molecules capable of binding with soul. वे कर्म व नोकर्म के परमाणु जो जीव के प्रदेशों में एक क्षेत्रावगाही हैं ” परन्तु जीव के साथ के साथ बंध को प्राप्त नहीं हैं अर्थात् ये कर्म नोकर्म रूप होने के योग्य हैं, वर्तमान में…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्मय –Vismaya. Sentiments of astonishment, Amazement. आश्चर्य या अचम्भे की भावना; १८ दोषों में से कि अरिहंत भगवान के नहीं होता “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तार सम्यग्दर्शन –VistaraSamyagdarsana. Right faith after thorough learning of scriptures. सम्यकत्व के १० भेदों में सातवा भेद, जीव आदि तत्त्वों को विस्तार रूप, से सुनकर जो श्रध्दान हो वह विस्तार सम्यग्दर्शन है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तार रूचि –VistaraRuchi. Those having interest of thorough study. शिष्यों के तीन भेदों, में एक भेद, विस्तार से समझने की रूचि रखने वाले शिष्य “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तार दर्शनार्य –VistaraDarsanarya. A type of noble persons. दर्शनार्य १० प्रकार के होते हैं उनमें से विस्ताररूचि वाले सम्यग्द्रष्टि को विस्तार दर्शनार्य कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विस्तर सत्त्व त्रिभंगी –VistaraSattvaTribhammgi. Name of a treatise written by AcharyaKanaknandi. आचार्य कनकनंदि कृत कर्म सिध्दांत विषयक प्राक्रत भाषा का एक ग्रंथ ” समय – ई.सन् ९३९
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसृष्टांग तप –Visratamga Tapa. An austerity or meditation, keep the body ex-actly loose. कायक्लेश तप का एक भेद; जिस तप में सम्पूर्ण शरीर ढीला छोड़ दिया जाये उसे विसृष्टांग तप कहते हैं “