वाक्शुद्धि!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाक्शुद्धि –Vaakshuddhi.: Renunciation of cruel speech or language controlling. कठोर कर्कश वचनों का त्याग कर सावधानी पूर्वक बोलना ” देखें –वचन शुद्धि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाक्शुद्धि –Vaakshuddhi.: Renunciation of cruel speech or language controlling. कठोर कर्कश वचनों का त्याग कर सावधानी पूर्वक बोलना ” देखें –वचन शुद्धि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विप्रतिपत्ति – Vipratipatti. Mutual controversial principles. एक वस्तु में परस्पर विरोधी दो वादों का नाम विप्रतिपत्ति है अथवा विपरीत निश्चय का नाम विप्रतिपत्ति है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाक् छल – Vaakchala.: A kind of deception (wrong opposition of speaker). छल के तीन भेदों में एक भेद; वक्ता के विवक्षित अर्थ की जान-बुझकर उपेक्षा कर अर्थातर की कल्पना करके वक्ता के वचन का निषेध करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपुलाचल – Vipulachala. Name of the first hill among five hills of Rajgrih Nagar. राजगृह नगर (नालंदा, बिहार ) की पंच पहाड़ियों में प्रथम पहाड़ी ” इंद्र ने भगवान महावीर के (केवलज्ञान होने के ६६ दिन पश्चात् ) प्रथम धर्मोपदेश के लिये यहां समवशरण रचा था “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपुलमति – Vipulamati. A type of telepathic knowledge (Manah Paryay Gyan). मन: पर्यय ज्ञान के दो भेदों में दूसरा भेद; जो ज्ञान दूसरे के मन में स्थित सरल और कुटिल सब बातों को जान लेता है ” अर्थात् चिन्तित, और अर्ध – चिन्तित को भी जान लेता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाक् (वचन) – Vaak (Vachana). Different types of speech. शुभ –अशुभ रूप बोलने अथवा उच्चारण करने की क्रिया “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपाक सूत्र – Vipaka Sutra. The 11th Anga (part) of Shrutgyan- scriptural knowledge (containing description of all 8 Karmas in Jainism). द्वादशांगश्रुत का ११ वां अंग ” इनमें ज्ञानावरण आदि ८ कर्मों के विपाक का एक करोड़ ८४ लाख पदों में वर्णन किया गया है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपाक विचय – Vipaka Vichaya. Contemplation over worldly peculiarities due to the fruition of karmas. धर्मध्यान के ४ भेदों में चौथा भेद; इसमें कर्मों के विपाक से उत्पन्न सांसारिक विचित्रता का चिंतन किया जाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपाकजा निर्जरा – Vipakaja Nirjara. Destruction of karmas at their appropriate time. सविपाक निर्जरा; क्रम से उदय काल आने पर कर्म का अपना फल देकर झड जाना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपाक – Vipaka. Fruition of karmas. कर्मों का फल देना अथवा द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव, भाव इन ५ निमित्तों के द्वारा कर्मों का अनेक प्रकार से पाक होना अथवा फल देना “