मिथ्या मत!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिथ्या मत–Mithya Mata. Wrong persuasions or doctrines. एकांत पक्ष रूप अभिप्राय, मिथ्यामत363 है, क्रियावादीयो के 180, अक्रियावादियो के 84, अग्यांवादियो के 67 और वैनयिक वादियों के 32 भेद”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिथ्या मत–Mithya Mata. Wrong persuasions or doctrines. एकांत पक्ष रूप अभिप्राय, मिथ्यामत363 है, क्रियावादीयो के 180, अक्रियावादियो के 84, अग्यांवादियो के 67 और वैनयिक वादियों के 32 भेद”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिथ्यान्धकार–Mithyaandhkaar. Darkness of ignorance. अज्ञान–अंधकार”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवसागर – Shivasaagara. Name of the 2nd pattacharya in the tradition of great Acharya Charitra Chakravarti Shri Shantisagarji, who was the disciple of Acharya Virsagar. चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी की परम्परा के द्वितीय पट्टाचार्य एवं प्रथम पट्टाचार्य श्री वीरसागर जी महाराज के प्रमुख शिष्य ” सन 1957 में ये आचार्यपट्ट पर आसीन हुए…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवभूति – Shivabhooti. A Digambar Jaina saint, who got omniscience ultimately on knowing the principle of sperateness of soul & body. शिवाभूति ने जिनकल्प (दिगम्बरता) को स्वीकार किया था और ज्ञानावरणी कर्म के उदय से इन्हें कुछ याद नहीं रहता था पुनः ‘तुषमाष भिन्न’ इस सूत्र का चिंतन करते हुए आत्मा और शरीर को…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवनंदि – Shivanandi. Name of a Bhattarak of Nandi group. नंदिसंघ बलात्कारगण वारां (राजस्थान) की गद्दी के एक भट्टारक ” समय- वि. 1148 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवदत्त – Shivadatta. Name of a great Acharya. भगवान महावीर की आचार्य परम्परा में लोहाचार्य के पश्चात हुए चार आचार्यों में तीसरे आचार्य ” समय- ई. 38-58 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवतिय – Shivatiya. Absolute state of salvation. मुक्तिरुपी कन्या अर्थात मोक्ष लक्ष्मी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवगुप्त – Shivagupta. Name of the initiator (an acharya) of Chakravarti (emperor) Sanatkumar, Name of the disciple of Gupti-riddhi saint of Punnat group. चक्रवर्ती सनत्कुमार के दीक्षागुरु ” पुन्नाट संघी गुप्तिऋद्धि के शिष्य तथा अर्हदवलि के गुरु, समय- ई.स. 33 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवकुमार बेला व्रत – Shivakumaara Belaa Vrata. A particular type of vow (fasting). 7-8 व 13-14 तिथि का बेला तथा 9-15 का पारणा ” इस प्रकार प्रतिमास 4 बेला व 4 पारणाएवं नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करना “