प्रायोपगमन मरण!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायोपगमन मरण- समाधिमरण का उत्कृश्ट रुप; ऐसा समाधिकरण करना जिसमें न तो आप अपना इलाज करें न दूसरे से करवें प्रत्युत् ध्यान में लीन रहें। Prayapagamana Marana- Faultless voluntary great and holy death
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायोपगमन मरण- समाधिमरण का उत्कृश्ट रुप; ऐसा समाधिकरण करना जिसमें न तो आप अपना इलाज करें न दूसरे से करवें प्रत्युत् ध्यान में लीन रहें। Prayapagamana Marana- Faultless voluntary great and holy death
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायोग्यानुपूर्वी- आनुपूर्वी; विग्रहगति में आत्म प्रदेषों का पूर्वषरीराकार बने रहना। Prayogyanupurvi- Existence of soul in transmigratory motion in the same shape as in the previous left body
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोग्य लब्धि- सम्यग्दर्षन की प्राप्ति में आधारभूत 5 उब्धियों में से चतुर्थ लब्धि, सर्व कर्मो की उत्कृश्ट स्थिति और उत्कृश्ट उनुभाग को घात करके अंतःकोड़ाकोडी स्थिति और द्विस्थानीय अनुभाग में स्थित कर देना। PrayogyaLabdhi- A type of attainment (Labdhi) before getting Samyakdarshan, experimental competency attainment
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायोगिकी क्रिया- क्रिया का एक भेद; गाड़ी आदि की पुरुश प्रयत्न से होने वाली क्रिया। PrayogikiKriya- Human efforted activity
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायश्चित विधान- आचार्य इन्द्रनंदि कृत ग्रंथ। PrayascittaVidhan- Name a book written by acharyaIndranandi
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रायश्चित – प्रतिसमय लगने वाले अंतरंग व बाह्य दोशों की निवृति करके अंतर्षोधन करने के लिए गुरु के समक्ष किया गया पष्चाताप। Prayascitta- Expiation, Repentance, Atonement, penitence
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रामाण्य भंग- आचार्य अनन्तकीर्ति (ई.श. 8 मध्यपाद) द्वारा रचित एक ग्रंथ। PramanyaBhanga- A book written by acharyaAnantkriti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रामाण्य- प्रामाणिकता; प्रमाण का कर्म प्रमाण्य कहलाता है वह पदार्थ के निष्चय करने रुप लक्षण वाला होता है। Pramanya- Authenticity, authority
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृत समास- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 16 वाँ भेद, प्राभृत श्रुतज्ञान में एक अक्षर के बढनें से यह ज्ञान होता है। PrabhrtaPrabhrtaSamasa- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृतप्राभृत- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 13 वाँ भेद, यह ज्ञान अनुयोग समास ज्ञान में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। PrabhrtaPrabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)