स्थिर भाव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिर भाव – Sthira Bhaava. Stable emotions or temperaments, stability of mental state.चित्त को निश्चल रखना अर्थात् आत्मस्थिरता या समता भाव, सामायिक।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिर भाव – Sthira Bhaava. Stable emotions or temperaments, stability of mental state.चित्त को निश्चल रखना अर्थात् आत्मस्थिरता या समता भाव, सामायिक।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिर नामकर्म प्रकृति – Sthira Naamakarma Prakrti. Physique making karmic nature causing physical stability & strength while fasting or observing any austerity.जिस कर्म के उदय से उपवास आदि तपक रने पर शरीर मे वात, पित्त व कफ की स्थिरता बनी रहती है और शरीर कमजोर या अशक्त नही होता है उसे स्थिर नामकर्म प्रकृति…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिर चित्त – Sthira Citta. Concentration of mind.चित्त की एकाग्रता, इसी का नाम ध्यान है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिर आसन – Sthira AAsana. A stable posture of deep meditation.ध्याता का एक लक्षण। शरीर व ध्याय योग्य आसन की स्थिरता। या चंचलता रहित आसन।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिर – Sthira. Stable, constant, name of a governing deity of Anka summit situated at kundal mountain.अविचल, कुण्डल पर्वतस्थ अंक कूट का स्वामी देव।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति सत्त्व स्थान – Sthiti Sattva sthaana. Existing places of karmic states.अविचल, कर्मों की स्थिति के सत्ता रुप विविध स्थान।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति सत्त्व – Sthiti Sattva. Existing states of karmic binding with soul.जीव से सम्बद्व हुए या संचित कर्म स्कंध दूसरे समय से लेकर फल देने से पहले समय तक सत्त् संबा को प्राप्त होते है। अथवा सत्ता मे स्थित अनेक समयो मे बंधी प्रकृतियो की स्थिति के सत्तव को स्थिति सत्तव कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति संक्रमण – Sthiti Samkramana. Transition of karmic states.मूल व उत्तर प्रकृतियो की जो स्थिति उद्वर्तित या अपवर्तित की जाती है अथवा अन्य प्रकृति को प्राप्त कराई जाती है उसे स्थ्तिि संक्रमण कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति शक्ति – Sthiti Sakti. Strength of karmic binding.प्रथम आदि निषेको की सर्व की स्थिति शक्ति है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति भोजन – Sthiti Bhojana. One of the 28 basic restaints of Jaina Saints, procedural taking food by standing without any support.साधु का एक मूलगुण। दीवाल आदि का संहार न लेकर स्वयं स्थिर खड़े रहकर अपनी अंजली ग्रहण करना स्थिति भेाजन कहलाता है।