सम्यक्तवकौमुदी!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तवकौमुदी – Samyaktvakaumudee. Name of a treatise written by Acharya Shubhchandra. आचार्य शुभचन्द्र (ई. 1516-1556) द्वारा रचित एक आध्यात्मिक ग्रंथ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तवकौमुदी – Samyaktvakaumudee. Name of a treatise written by Acharya Shubhchandra. आचार्य शुभचन्द्र (ई. 1516-1556) द्वारा रचित एक आध्यात्मिक ग्रंथ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तव क्रिया – Samyaktva Kriyaa. Worshipping the Jaina Lord, scriptures & saints. साम्परायिक आस्त्रव की 25 क्रियाओ मे पहली क्रिया। सच्चे देव शास्त्र गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना। इससे सम्यक्तव की प्राप्ति और पुण्यबंध होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थविर कल्पी – Sthavira Kalpii. One observing asceticism under the guidance of senior Acharya (saint).जो साधु एकलविहारी नही हो सकते है एवं स्थविर कल्प मे स्थिर रहते है वे स्थविर कल्पी कहलाते है। उत्तम संहनन वाला, परिषह विजयी, सिद्वान्त का ज्ञाता तपस्वी ही एकलविहारी अर्थात् जिनकल्पी होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थविर कल्प – Sthavira Kalpa. Code of conduct of Jana saint.समस्त वस्त्र आदि परिग्रह का त्याग करके दिगम्बर होना। 13 प्रकार के चारित्र व 28 मूलगुणो को धारण करना, हीन संहनन होने के कारण नगर आदि मे विहार करना, चारित्र भंग न हो ऐसे उपकरणो को रखना, षिष्यो का पालन करना यह सब हीन…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थलगता चूलिका – Sthalagataa Cuulikaa. A geat scriptural part of Drishtivad Anga.दृष्टिवाद अंग के अन्तर्गत चूलिका के 5 भेदो मे एक भेद। इसमे दो करोड़ 9 लाख 89 हजार दो सौ पद है। इसमे पृथिवी के भीतर गमन करने के कारणभूत मंत्र तंत्र और तपश्चरण व वास्तुविद्या तथा भूमि सम्बन्धी अन्य शुभश्षुभ लक्ष्णो का…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थपति – Sthapati. Architect, one of the 14 jewels of chakrawarti (emperor).भवन निर्माण कला मे निपुण वास्तुकार, चक्रवर्ताीे के 14 रत्नो मे एक रत्न। जो वास्तुविद्या का पारगामी होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थंडिल – Sthamdila. Sterilized place etc.सूक्ष्म जीवो की आशंका से रहित प्रासुक स्थान आदि।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्री संसर्ग – Stri Samsarga. Sexual intercourse.पुरुष का स्त्री के साथ संभोग करना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्रीवेद कर्म प्रकृति – Striveda Karma Prakrti Karmic nature causing sexual desire in woman.देखे- स्त्रीवेद। नो कषाय का एक भेद जिसके उदय से पुरुष से संयोग की याह हो।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्रीवेद – Striiveda. Femininity (pertaining to sex).जिसके उदय से जीव स्त्री सम्बन्धी भावो को प्राप्त होता है वह स्त्री वेद है, अथवा जिन कर्म स्कन्धो के उदय से पुरुष मे आकांक्षा उत्पन्न है, उन कर्म स्कन्धो को स्त्रीवेद यह संबा है अथवा जिसके उदय से पुरुष मे रमने के भाव हो वह स्त्रीवेद है।