प्रकृति विभाग (मूल/उत्तर )!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति विभाग (मूल/उत्तर ) – Prakrti Vibhaga (Mula/Uttara). Division of karmic natures (primary/second- ary). कर्म प्रक्रतियां के भेद; मूल कर्म प्रक्रतियां ८ एवं उत्तर कर्म प्रक्रतियां १४८ हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति विभाग (मूल/उत्तर ) – Prakrti Vibhaga (Mula/Uttara). Division of karmic natures (primary/second- ary). कर्म प्रक्रतियां के भेद; मूल कर्म प्रक्रतियां ८ एवं उत्तर कर्म प्रक्रतियां १४८ हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्वविद् – Poorvavid. One ominiscient, having scriptual knowledge (Shrutgyan). श्रुतकेवली “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृतिवाद – Prakrtivada. A sankhya philosophy of naturalism. एक सांख्य दर्शन “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति बन्धापसरण – Prakrti Bandhapasarana. Sequential reduction in karmic bindings. प्रकतिबंध का क्रम से घटना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्ववर्ती – Poorvavartee. Foregoing, preceding, predecessor. पहले पाया जाने वाला “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्ववत् अनुमान – Poorvavat Anumaana. Predetermination of any result according to the previous experience, the senseful inference. स्वार्थानुमान के तीन भेदों में से एक भेद; जिसने अग्नि से निकलते धूम को पहले देखा है , उस व्यक्ति के द्वारा पुनः धूम को देखकर यहाँ अग्नि है ऐसा अनुमान कर लेना पूर्ववत् अनुमान है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति बंध – Prakrti Bandha. Regular binding of different types of karmic natures. राग, द्वेषादि के निमित्त से जीव के साथ ज्ञानावरणादि कर्मों का निरंतर बंध होना अर्थात् जीव के भावों की विचित्रता के अनुसार विभन्न प्रकार की फलदान शक्ति वाले कर्मों का बंध होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति परोदय – Prakrti Parodaya. Karmic nature which binds in the fruition of other Karmic nature. ऐसी कर्म प्रक्रतियां (११) जिनका पर के उदय में बंध होता हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पूर्वरतानुस्मरणत्याग – Poorvataanusmaranatyaaga. Giving up of rememberings of the former sensual pleasures. पूर्व में भोगे हुए इन्द्रिय सुखों के स्मरण का त्याग करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति निरन्तर – Prakrti Nirantara. Karmic nature with continuous binding. कर्म प्रक्रतियां जो अंतर्मुहूर्त काल तक निरंतररूप से बंधती हैं वह निरंतर बंधी प्रक्रतियां कहलाती हैं “