पुद्गल अस्तिकाय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल अस्तिकाय – Pudgala Astikaya. One of the five Astikayas. पांच अस्तिकायों में एक; इसमें एक प्रदेश वाले अणु को भी प्रदेश प्रचय की शक्तिरूप स्वभाव के कारण अस्तिकाय कहा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल अस्तिकाय – Pudgala Astikaya. One of the five Astikayas. पांच अस्तिकायों में एक; इसमें एक प्रदेश वाले अणु को भी प्रदेश प्रचय की शक्तिरूप स्वभाव के कारण अस्तिकाय कहा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल अनुभाग – Pudgala Anubhaga. Fruitional power of Karmas (Pudgal). ज्वर आदि रोगों के उत्पन्न करने और विनाश करने का नाम पुद्गलानुभाग है, अर्थात् पुद्गलकर्मों के शुभाशुभ फल देने की शक्ति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल – Pudgala. Matter or substance with the property of touch, taste, smell & colour etc. जो पूरण- गलन स्वभाव सहित है तथा जिसमें स्पर्श, रस, गंध और वर्ण ये चारों गुण पाये जाते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यास्त्रव व्रत – Punyasrava Vrata. A type of vows to be observed for particular 108 days for the earning of merits in the life. समरंभ, समारंभ, आरंभ को मन-वचन-काय से गुणा करने से प्राप्त ९ और फिर इस ९ में कृत, कारित, अनुमोदन से गुणा करने से प्राप्त २७ और २७ में क्रोध, मान,…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यास्त्रवकथाकोष – Punyanubamdhi Punya. A book written by Pandit Ramchandra. ई.श.१३ के मध्यपाद में पं. रामचंद्र द्वारा रचित एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यानुबंधी पुण्य – Punyanubandhi Punya. Right use of possessed right virtues & qualities. पुण्य के उदय से प्राप्त बुध्दि, कौशल आदि क्षमताओं को पुण्यार्जन में लगा देना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यायज्ञ क्रिया – Punyayajna Kriya. A meritorious act. दिक्षान्वय की ४८ क्रियाओं में से एक क्रिया- साधर्मी पुरुषों के साथ पुण्यवृध्दी के कारणभूत १४ पूर्व विधाओं का सुनना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यमूर्ति – Punyamurti. Name of the 13th predestined Teerthankar (Jain- Lord). हरिवंशपुराण के अनुसार १३वें भाविकालीन तीर्थंकर का नाम. त्रिलोकसार के अनुसार इनका नाम ‘निष्पापनाथ’ है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यफल – Punyaphala. The fruit of meritorious actions. पुण्यकार्यों से प्राप्त होने वाला शुभ फल. अर्हन्त अवस्था को पुण्य का उत्कृष्ट फल जानना चाहिए “