अभिषेक पाठ एवं नवदेवता पूजा
अभिषेक पाठ एवं नवदेवता पूजा… मंगलाष्टकम् पूजा मुख विधि पंचामृत अभिषेक पाठ शांतिधारा नवदेवता पूजन पूजा अन्त्य विधि भजन नवदेवता आरती पंचपरमेष्ठी की आरती
अभिषेक पाठ एवं नवदेवता पूजा… मंगलाष्टकम् पूजा मुख विधि पंचामृत अभिषेक पाठ शांतिधारा नवदेवता पूजन पूजा अन्त्य विधि भजन नवदेवता आरती पंचपरमेष्ठी की आरती
“…पंचपरमेष्ठी की आरती…” तर्ज – चांदनपुर के गाँव में बुला ले सांवरिया………. घृत दीपक का थाल ले, उतारूँ आरतिया, मैं तो पाँचों परमेष्ठी की। पाँचों परमेष्ठी की एवं चौबीसों जिनवर की।।घृत दीपक.।।टेक.।। समवसरणयुत अरिहंतों की, सिद्धशिला के सिद्धों की-२ भवदुख नाशन हेतु ही, उतारूँ आरतिया, मैं तो पाँचों परमेष्ठी की।।१।। परमेष्ठी आचार्य उपाध्याय, साधु मोक्षपथगामी…
नवदेवता आरती……. रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती ॐ जय नवदेव प्रभो, स्वामी जय नवदेव प्रभो। शरण तुम्हारी आए, आरति हेतु प्रभो।। ॐ जय.।। श्री अरिहंत जिनेश्वर, प्रथम देव माने। स्वामी प्रथम…….. दूजे देव कहाते, सिद्धशिला स्वामी।। ॐ जय…..।।१।। चउसंघ नायक सूरी, तृतिय देवता हैं। स्वामी तृतिय…… चौथे देव कहाए, उपाध्याय मुनि हैं।। ॐ जय…….।।२।। सर्वसाधु हैं पंचम,…
भजन….. तर्ज—आओ बच्चों तुम्हें…… आओ बच्चों! तुम्हें बतायें, परिचय प्रभु महावीर का। हर बच्चे में छिपा हुआ है, तेज प्रभू महावीर सा।। जय जय वीर प्रभो, बोलो जय महावीर प्रभो.।।टेक.।। कुण्डलपुर में पितु सिद्धारथ, माँ त्रिशला से जन्म लिया। अपने शौर्य पराक्रम से, महावीर नाम को धन्य किया।। वीर बहादुर बनना हो तो, नाम जपो…
पूजा अन्त्य विधि (हिन्दी पद्यानुवाद) (अनंतर मणि, मूंगा, चांदी आदि की माला से या अंगुली से अथवा १०८ पुष्पों से नीचे लिखे मंत्र का जाप्य करें। समयाभाव में ९ बार मंत्र पढ़कर पुष्प चढ़ावें।) ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा स्वाहा। पुन: चैत्यभक्ति, पंचगुरुभक्ति और शांतिभक्ति पढ़ें- अथ जिनेन्द्रमहापूजास्तवसमेतं श्रीचैत्यभक्तिकायोत्सर्गं…
“…नवदेवता पूजन…” -गीता छन्द- अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु त्रिभुवन वंद्य हैं। जिनधर्म जिनआगम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह वंद्य हैं।। नव देवता ये मान्य जग में, हम सदा अर्चा करें। आह्वान कर थापें यहाँ, मन में अतुल श्रद्धा धरें।। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु जिनधर्मजिनागमजिन-चैत्यचैत्यालयसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु जिनधर्मजिनागमजिन-चैत्यचैत्यालयसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:…
“…शांतिधारा…” ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते प्रक्षीणाशेषदोषकल्मषाय दिव्यतेजोमूर्तये नम: श्रीशांतिनाथाय शांतिकराय सर्वपापप्रणाशनाय सर्वविघ्नविनाशनाय सर्वरोगोपसर्गविनाशनाय सर्वपरकृतक्षुद्रोपद्रवविनाशनाय, सर्वक्षा-मडामरविनाशनाय ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा नम: मम (……)१ सर्वज्ञानावरण कर्म छिन्द्धि छिन्द्धि भिन्द्धि भिन्द्धि सर्वदर्शनावरण कर्म छिन्द्धि छिन्द्धि भिन्द्धि भिन्द्धि सर्ववेदनीयकर्म छिन्द्धि छिन्द्धि भिन्द्धि भिन्द्धि सर्वमोहनीयकर्म छिन्द्धि छिन्द्धि भिन्द्धि भिन्द्धि सर्वायु:कर्म छिन्द्धि छिन्द्धि भिन्द्धि…
पंचामृत अभिषेक पाठ (श्री पूज्यपाद आचार्य विरचित) (पद्यानुवादकर्त्री-गणिनी आर्यिका ज्ञानमती) -शंभु छंद- अर्हंत देव को प्रणमन कर, जल से स्नान कर शुद्ध हुआ। सन्मंत्रस्नान व्रतस्नान कर, जिन गंधोदक से शुद्ध हुआ।। आचमन अर्घ कर धुले धवल, धोती व दुपट्टे को पहने। जिनमंदिर की त्रय प्रदक्षिणा कर, नमूँ शीश नत विधिवत् मैं।।१।। जिनगृह के द्वार खोल…
पूजा मुख विधि (यह प्रतिष्ठातिलक ग्रंथ के आधार से पूजा प्रारंभ की विधि मैंने प्रस्तुत किया है) (अभिषेक और पूजा से पूर्व इस पूजा प्रारंभ विधि को पढ़ना चाहिए) नि:संग हो हे नाथ! आप दर्श को आया। स्नान त्रय से शुद्ध धौत वस्त्र धराया।। त्रैलोक्य तिलक जिनभवन की वंदना करूँ। जिनदेवदेव को नमूँ सम्पूर्ण सुख…
“…णमोकार महामंत्र महिमा…” णमोकार महामंत्र महिमा णमो अरिहंताणं अर्हंतों को नमस्कार हो। णमो सिद्धाणं सिद्धों को नमस्कार हो। णमो आइरियाणं आचार्यों को नमस्कार हो। णमो उवज्झायाणं उपाध्यायों को नमस्कार हो। णमो लोए सव्वसाहूणं लोक में सर्व साधुओं…