08. पूजा नं. 7
पूजा नं. 7 स्थापना-नरेन्द्र छंद भव्यजनों को भववारिधि से, कैसे पार करूँ मैं। अतिकरुणा से धर्मध्यानमय भाव धरें नित मन में।। ऐसे धार्मिक मनुज तीर्थंकर प्रकृति बंध करते हैं। उन तीर्थंकरों को जजते ही शिव लक्ष्मी वरते है।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकराणां महामुनिआदिशतनाममंत्र समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …