१. प्रवचनकर्त्ता
१. प्रवचनकर्त्ता रत्नत्रय से विभूषित आचार्य, उपाध्याय और साधु ये तीन प्रकार के दिगम्बर मुनि ही मुख्यरूप से प्रवचनकर्त्ता होते हैं, किन्तु गौणरूप से विद्वान् श्रावक भी हो सकते हैं। श्री गुणभद्रसूरि ने प्रवक्ता आचार्य के गुणों का वर्णन बहुत ही सुंदर किया है- प्राज्ञ: प्राप्तसमस्तशास्त्रहृदय: प्रव्यक्तलोकस्थिति:, प्रास्ताश: प्रतिभापर: प्रशमवान् प्रागेव दृष्टोत्तर:। प्राय: प्रश्नसह: प्रभु:…