23. सम्यग्दर्शन का लक्षण
[[श्रेणी:जिनागम_रहस्य]] == सम्यग्दर्शन का लक्षण (अन्तर-विभिन्न ग्रंथों में) समयसार ग्रन्थ में श्री कुन्दकुन्दस्वामी ने सम्यग्दर्शन का लक्षण लिखा है—(१५ ज०) भूयत्थेणाभिगदा जीवाजीवा य पुण्णपावं च।आसवसंवरणिज्जर बंधो मोक्खो य सम्मत्तंसमयसार पृ. ६३ श्लोक-१३।।।१३ अ०।। भूतार्थनाभिगता जीवाजीवौ च पुण्यपापं च।आस्रवसंवरनिर्जरा बंधो मोक्षश्च सम्यक्त्वम्।।१३।। उत्थानिका — शुद्धनय से जानना ही सम्यक्त्व है, ऐसा सूत्रकार कहते हैं— अन्वयार्थ —…