66. द्रौपदी का स्वयंवर हुआ है न कि भिक्षा में प्राप्त हुई
द्रौपदी का स्वयंवर हुआ है न कि भिक्षा में प्राप्त हुई रूपलावण्यसौभाग्यकलालंकृतविग्रहा। द्रौपदी तनया तस्य द्रुपदस्योपमोज्झिता।।१२२।। तस्याःकृते कृताः सर्वे मनोजेन नृपात्मजाः। सग्रहा इव याचन्ते नानोपायनपाणयः।।१२३।। दाक्षिण्यभङ्गभीतेन द्रुपदेन ततो नृपाः। विश्वे चन्द्रकवेधार्थमाहूताः कन्यर्कािथनः।।१२४।। द्रौपदीग्रहवश्यानां काश्यप्यामिह भूभृताम्। कर्णदुर्योधनादीनां माकन्द्यां निवहोऽभवत्।।१२५।। सुरेन्द्रवर्धनः खेन्द्रः स्वसुतावरमार्गणैः। धनुर्गाण्डीवमादेशाद्दिव्यं तत्र तदाऽकरोत्।।१२६।। चण्डगाण्डीवकोदण्डमण्डलीकरणक्षमः। राधावेधसमर्थो यो द्रौपद्या: भवेत्पति:।।१२७।। इतीमां घोषणां श्रुत्वा द्रोणकर्गादयो नृपाः। समेत्य…