जैन न्याय ग्रंथों के मंगलाचरण
जैन न्याय ग्रंथों के मंगलाचरण प्रस्तुतकर्ता—आचार्य विद्यानन्द मुनि सिद्ध सिद्धत्थाणं ठाणमणावमसुहं उवगयाणं।कुसमयविसासणं सासणं जिणाणं भवजिणाणं।। —(आचार्य सिद्धसेन, सम्मइसुत्तं (सन्मतिसूत्र)) अर्थ — संसार को जीतने वाले जिनेन्द्र भगवान का शासन अनुपम सुख के स्थान को प्राप्त है, प्रमाणप्रसिद्ध अर्थों का स्थान है और मिथ्यामत का निवारण करने वाला स्वत:सिद्ध है। उद्दीपीकृतधर्मतीर्थमचलं ज्योतिज्र्वलत्केवला—लोकालोकितलोकालोकमखिलैरिन्द्रादिभिर्वन्दितम्।वंदित्वा परमार्हतां समुदयं गां…