आत्मनिन्दा सबसे बड़ा प्रायश्चित्त है!
”आत्मनिन्दा सबसे बड़ा प्रायश्चित्त है” लेखिका – आर्यिका श्री चंदनामती माताजी त्रिशला—बहन मालती ! आज आप बे टाइम कहां जा रही हैं ? मालती—आज चतुर्दशी है न। मैं मंदिर जा रही हूं वहीं पर आर्यिका माताजी आज पाक्षिक प्रतिक्रमण कर रही होंगी। ‘ त्रिशला—तो तुम वहां जाकर क्या करोगी ? साधु का कार्य साधु को…