मीमांसादर्शन और जैनदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन
मीमांसादर्शन और जैनदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन – डॉ. कुलदीप कुमार संस्कृत-व्याकरण के अनुसार ‘दर्शन’ शब्द ‘दृश’ धातु+ल्युट् प्रत्यय लगाकर बना है। इसका अर्थ है जिसके द्वारा देखा जाए अथवा जो देखता है अथवा दृष्टि मात्र ही दर्शन है। दर्शन शब्द की व्युत्पत्ति शास्त्रों मे विभिन्न प्रकार से प्राप्त होती है- १. ‘‘दृश्यतेऽनेनेति दर्शनम्।’’ जिसके द्वारा…