मद्यपान :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:सूक्तियां ]] == मद्यपान : == मद्येन नर: अवश: करोति कर्माणि निन्दनीयानि। इहलोके परलोके अनुभवति अनन्तकं दु:खम्।। —समणसुत्त : ३०६ मद्यपान करने से मनुष्य का अपने पर नियंत्रण नहीं रहता। फिर वह निन्दनीय कर्म किया करता है। (परिणाम यह होा है कि) इहलोक और परलोक में उसे अनन्त दु:खों का अनुभव…