15. अचलमेरु पूजा
पूजा नं.-12 अचलमेरु पूजा -अथ स्थापना-गीताछंद- श्री अचलमेरू राजता है, अपर धातकि द्वीप में। सोलह जिनालय तास में, जिनबिंब हैं उन बीच में।। प्रत्यक्ष दर्शन हो नहीं, अतएव पूजूँ मैं यहाँ। आह्वान विधि करके प्रभो, थापूँ तुम्हें आवो यहाँ।।१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखंडद्वीपस्थ-अचलमेरुसंबंधिषोडशजिनालयजिनबिम्ब- समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …