गणधरवलय विधान की आरती
गणधरवलय विधान की आरती तर्ज—चाँद मेरे आजा रे……….. आरती गणधर स्वामी की। ऋद्धि समन्वित, सबका करें हित, निज में सदा रत रहते।।टेक.।। मुनि व्रत धारण कर जो नर, उग्रोग्र तपस्या करते। तप के ही बल पर वे मुनि, नाना ऋद्धी को वरते।। आरती गणधर स्वामी की ।।१।। श्री विष्णुकुमार मुनी को, हुई प्राप्त विक्रिया ऋद्धी।…