05. ढाईद्वीपस्थ नवदेवता पूजा
(पूजा नं. 4) ढाईद्वीपस्थ नवदेवता पूजा अथ स्थापना (शंभु छंद) इस मध्यलोक में ढाइद्वीप तक, कर्मभूमियाँ मानी हैं। सब इक सौ सत्तर भव्यहेतु, ये शिवपथ की रजधानी हैं। इनमें नवदेव रहें उत्तम, उन सबको पूजूँ भक्ती से। आह्वानन स्थापन करके, गुणमणि को ध्याऊँ युक्ती से।। ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपसंबंधिसप्तत्यधिकशतकर्मभूमिस्थितअर्हत्सिद्धाचार्यो- पाध्यायसर्वसाधुजिनधर्मजिनागमजिनचैत्यचैत्यालयसमूह! अत्र अवतर अवतर …