शांतिभक्ति(श्री पूज्यपादकृत-पद्यानुवाद-गणिनी आर्यिका ज्ञानमती)
शांतिभक्ति भगवन्! सब जन तव पद युग की शरण प्रेम से नहि आते। उसमें हेतु विविधदु:खों से भरति घोर भववारिधि है।। अतिस्फुरित उग्र किरणों से व्याप्त किया भूमंडल है। ग्रीषम ऋतु रवि राग कराता इंदुकिरण, छाया, जल में।।१।। क्रुद्धसर्प आशीविष डसने से विषाग्नियुत मानव जो। विद्या औषध मंत्रित जल हवनादिक से विष शांती हो।। वैसे...