श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्र पूजा स्थापना गीता छंद तर्ज-आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं……… चलो सभी मिल पूजन कर लें, पार्श्वनाथ भगवान की। केतू ग्रह की बाधा हरने, वाले प्रभू महान की।। वन्दे जिनवरम्-२, वन्दे जिनवरम्-२।।टेक.।। हम सब प्रभु की पूजन हेतू, आह्वानन विधि करते हैं। स्थापन सन्निधीकरण, करके आतम निधि वरते हैं।। आओ तिष्ठो प्रभु मुझ मन…
सर्दी में उबटन १.बड़े बच्चों व महिलाओं के लिये— जौ का आटा, बेसन और थोड़ा तेल मिलाकर पानी डालें। उबटन तैयार है। यह उबटन सभी उम्र व सभी ऋतुओं में उपयोगी रहता है। पुरुषों के लिए उबटन में जौ का आटा अधिक एवम् बेसन कम मिलाना चाहिए। २. रुखी त्वचा के लिये— उपरोक्त उबटन में…
स्वास्थ्य सूत्र — कमर— दर्द १- खस—खस और मिश्री दोनों बराबर मात्रा में लेकर कूट पीस लें । प्रतिदिन १ चम्मच खाकर और ऊपर से गर्म दूध पीने से कमर दर्द जाता रहता है । २- सरसों का तेल १२५ ग्राम, देशी कपूर २० ग्राम दोनों मिलाकर…
बालों की रूसी दूर करने के लिए नारियल के तेल में निम्बू का रस पकाकर रोजाना सिर की मालिश करें. पानी में भीगी मूंग को पीसकर नहाते समय शैम्पू की जगह प्रयोग करें. मूंग पाउडर में दही मिक्स करके सिर पर एक घंटा लगाकर धो दें. रीठा पानी में मसलकर उससे सिर धोएं. मछली, मीट…
गैस व बदहजमी दूर करने के लिए भोजन हमेशा समय पर करें । प्रतिदिन सुबह बूरे में नींबू का रस मिलाकर चाट लें । हींग, लहसुन पीसकर उसकी गोली बनाकर छाँव में सुखा लें व प्रतिदिन एक- एक गोली खाएं । भोजन के समय सादे पानी के बजाये अजवायन का उबला पानी प्रयोग…
गर्मी में करें त्वचा की देखभाल १- हाथों को खूबसूरत बनाने के लिये १ चम्मच नींबू का रस , १ चम्मच टमाटर का रस, १ चम्मच दूध मिला लें। इस मिश्रण को हाथों पर लगाकर २० मिनट के लिए छोड़ दें। उसके बाद हाथों को रगड़कर धो लें। हाथों में चमक आ जायेगी। २- नीम…
जीवनरक्षक आँवला आँवले को जीवनरक्षक कहा गया है । यह ठंड में बड़ी मात्रा में पैदा होता है। इसका स्वाद तीखा , खट्टा एवं कसैला होता है। चटनी, आचार, मुरब्बा, च्यवनप्राश, बालों के तेल आदि से लेकर विभिन्न दवाइयों में आँवले का प्रयोग किया जाता है। आँवले से जीवन शक्ति प्राप्त होती है। वैज्ञानिक परीक्षण…
कुलाचलों के वर्ण हेमज्जुणतवणीया कमसो वेलुरियरजदहेममया। इगिदुगचउचउदुगइगिसयतुंगा होंति हु कमेण।।५६६।। हेमार्जुनतपनीयाः क्रमशः वैडूर्यरजतहेममयाः। एकद्विकचतुश्चतुद्र्विवैशततुङ्गा भवन्ति हि क्रमेण।।५६६।। हेम। हेमवर्णः अर्जुनवर्णः श्वेत इत्यर्थः। तपनीयवर्णः कुक्कटचूडछविरित्यर्थः, वैडूर्यवर्णः मयूरकण्ठच्छविरित्यर्थः, रजतवर्णः हेममयः एते क्रमशः तेषां पर्वतानां वर्णाः एकशतः द्विशतः चतुःशतः चतुःशतः द्विशतः एकशतः क्रमेण तेषामुत्सेधा भवन्ति।।५६६।। कुलाचलों के वर्ण गाथार्थ—इन कुलाचलों का वर्ण क्रमशः हेम (स्वर्ण) अर्जुन (चाँदी सदृश…