श्रीनेमिनाथ जिनेन्द्र पूजा स्थापना अडिल्लछन्द बाइसवें तीर्थंकर नेमीनाथ हैं। इनके तप की कथा जगत विख्यात है।। राहू ग्रह की शांति हेतु मैं पूजहूँ। आह्वानन स्थापन विधि से मैं जजूँ।। ॐ ह्रीं राहुग्रहारिष्टनिवारक श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं राहुग्रहारिष्टनिवारक श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं राहुग्रहारिष्टनिवारकश्रीनेमिनाथ जिनेन्द्र! अत्र मम…
चन्द्रग्रह अरिष्ट निवारक श्री चन्द्रप्रभ पूजा गीताछंद चन्दाकिरण समश्वेत चन्द्रप्रभु जिनेन्द्र समर्चना। शशिग्रह अरिष्ट विनाश हेतू, मैं करूँ अभ्यर्थना।। आओ विराजो नाथ मन-मन्दिर मेरा यह रिक्त है। बस भावना है प्रमुख मेरी, द्रव्य तो अतिरिक्त है।।१।। ॐ ह्रीं चन्द्रग्रहारिष्टनिवारकश्रीचन्द्रप्रभ जिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं चन्द्रग्रहारिष्टनिवारकश्रीचन्द्रप्रभ जिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः…
नवग्रह पूजा नवग्रह अरिष्ट निवारक – समुच्चय पूजा (स्थापना) कुसुमलता छंद काल अनादी से कर्मों के, ग्रह ने मुझे सताया है। उनका निग्रह करने का अब, भाव हृदय में आया है।। इसीलिए ग्रह शान्ती हेतू, पूजा पाठ रचाया है। तीर्थंकर प्रभु के अर्चन को, मैंने थाल सजाया है।।१।। दोहा आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण महान। अष्टद्रव्य…
श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्र पूजा स्थापना गीता छंद मुनिसुव्रतेश जिनेन्द्र की, हम सब करें आराधना। शनिग्रह अरिष्ट विनाश हेतू, भक्ति से हो साधना।। शनिवार को प्रभु निकट में, विधिवत् करें यदि अर्चना। तो सत्य ही दुख दूर होकर, पूर्ण होगी प्रार्थना।।१।। दोहा पूजा के प्रारंभ में, आह्वानन इत्यादि। स्थापन सन्निधिकरण, की विधि कही अनादि।।२।। ॐ ह्रीं शनिग्रहारिष्टनिवारक…
श्री मल्लिनाथ पूजा स्थापना तर्ज-मेरे मन मन्दिर में आन……….. मेरे हृदय महल में आन, पधारो मल्लिनाथ भगवान।। आओ तिष्ठो नाथ! विराजो मण्डल ऊपर प्रभु तुम राजो।। बुधग्रह की बाधा हो हान, पधारो मल्लिनाथ भगवान।। ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारकश्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारकश्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारक श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र!…