औघिक के दश भेद
औघिक के दश भेद इच्छाकार, मिथ्याकार, तथाकार, आसिका, निषेधिका, आपृच्छा, प्रतिपृच्छा, छंदन, सनिमंत्रण और उपसपंत्। इच्छाकार-सम्यग्दर्शन आदि इष्ट को हर्ष से स्वीकार करना। इसमें स्वेच्छा से प्रवृत्ति करना। मिथ्याकार- अतिचारों के होने पर ‘यह अपराध मिथ्या हो’ ऐसा मैं फिर नहीं करूँगा। ऐसा कहना। तथाकार- गुरु आदि से सूत्र का अर्थ सुनकर ‘यह सत्य है’…