तीन गुणव्रत.!
[[श्रेणी:धर्म_के_लक्षण]] == तीन गुणव्रत == पांच अणुव्रतों की रक्षा करने के लिए या उनकी वृद्धि के लिए तीन गुणव्रत होते हैं-दिग्व्रत, अनर्थदण्ड व्रत और भोगोपभोग परिमाण व्रत । दिग्व्रत-सूक्ष्म पाप के निराकरण के लिए मरणपर्यंत दशों दिशाओं की मर्यादा करके उसके बाहर नहीं जाना दिग्व्रत है । अनर्थदण्डव्रत-दिशाओं की मर्यादा के भीतर निष्फल पापोपदेश आदि…