[[श्रेणी:मध्यलोक_के_जिनमंदिर]] == जंबूवृक्ष-शाल्मलिवृक्ष == उत्तरकुरु में ईशान दिशा में जंबूवृक्ष एवं देवकुरु में नैऋत्य दिशा में शाल्मलिवृक्ष हैं।
[[श्रेणी:मध्यलोक_के_जिनमंदिर]] == चौंतीस कर्मभूमि == भरतक्षेत्र के आर्यखंड की एक कर्मभूमि, वैसे ही ऐरावत क्षेत्र के आर्यखंड की एक कर्मभूमि तथा बत्तीस विदेहों के आर्यखंड की ३२ कर्मभूमि ऐसे चौंतीस कर्मभूमि हैं। इनमें से भरत-ऐरावत में षट्काल परिवर्तन होने से ये दो अशाश्वत कर्मभूमि हैं एवं विदेहों में सदा ही कर्मभूमि व्यवस्था होने से वे…
तीन सौ ग्यारह पर्वत कहाँ हैं सुमेरु पर्वत विदेह के मध्य में है। छह कुलाचल-सात क्षेत्रों की सीमा करते हैं। चार गजदंत मेरु की विदिशा में हैं। सोलह वक्षार विदेह क्षेत्र में हैं। बत्तीस विजयार्ध बत्तीस विदेह देश में हैं और दो विजयार्ध, भरत और ऐरावत में एक-एक हैं अत: चौंतीस वजयार्ध हैं। बत्तीस विदेह…
विदेह क्षेत्र का वर्णन निषध पर्वत के बाद इस पर्वत से दूने विस्तार वाला विदेह क्षेत्र है। विदेह क्षेत्र का विस्तार ३३६८४ योजन, (१३४७३६८४२-२/१९ मील) है। निषध पर्वत के उत्तर भाग में दोनों पर्वतों के मध्य भाग में विदेह क्षेत्र है। इस विदेह क्षेत्र के बीचोंबीच में सुमेरु पर्वत स्थित है। इसके सुदर्शन, मेरु, मन्दर…
जम्बूद्वीप में ५६८ कूट हैं उनका स्पष्टीकरण— १. हिमवान् आदि छह कुलाचल के क्रमशः — हमवान-शिखरी पर्वत के ११ + ११ महाहिमवान-रुक्मी के ८ + ८ निषध-नील के ९ + ९ ये २२ + १६ + १८ = ५६ हैं। २. विदेह क्षेत्र के ३२ विजयार्ध एवं भरत-ऐरावत के २ ऐसे ३४ विजयार्ध पर्वत के…
छह भोगभूमि हैमवत और हैरण्यवत में जघन्य कर्मभूमि की व्यवस्था है। वहाँ पर मनुष्यों के शरीर की ऊँचाई एक कोस है, एक पल्य आयु है और युगल ही जन्म लेते हैं, युगल ही मरते हैं। दस प्रकार के कल्पवृक्षों से भोग सामग्री प्राप्त करते हैं। हरिवर्ष क्षेत्र और रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि की व्यवस्था…
[[श्रेणी:मध्यलोक_के_जिनमंदिर]] == चौंतीस आर्यखंड == एक भरत में, एक ऐरावत में और बत्तीस विदेहदेशों में बत्तीस ऐसे आर्यखंड चौंतीस हैं।
वेदी और वनखंड जंबूद्वीप में ३११ पर्वत हैं,उनके आजू-बाजू या चारों तरफ मणिमयी वेदियां हैं और वनखंड हैं। नब्बे कुंड प्रमुख हैं-गंगादि १४ नदियां जहां गिरती हैं वहाँ के १४, विभंगा नदियों की उत्पत्ति के १२, विदेह की गंगादि-रक्तादि ६४ नदियों की उत्पत्ति के ६४ ऐसे १४ + १२ + ६४ =९० कुंड हैं। इनके…
इस जंबूद्वीप में हम कहाँ हैं ? यह भरतक्षेत्र जंबूद्वीप के १९० वें भाग (५२६-६/१९ योजन) प्रमाण है। इसके छह खंड में जो आर्यखंड है उसका प्रमाण लगभग निम्न प्रकार है। दक्षिण का भरतक्षेत्र २३८-३/१९ योजन का है। पद्मसरोवर की लम्बाई १००० योजन है तथा गंगा-सिंधु नदियां ५-५ सौ योजन पर्वत पर पूर्व-पश्चिम बहकर दक्षिण…