29. श्री राम मुनि को केवल ज्ञान
श्री राम मुनि को केवल ज्ञान (२७३)प्रिय सुनो राम के उसी समय,सब घातिकर्म थे क्षार भये।प्रभु केवलज्ञान हुआ सुनकर, इंद्रों के आसन कांप गए।।आ करके रच दी गंधकुटी, नभ में ही अधर रहा करती।बारह कोठों में ऋषिमुनि और,सुरनर किन्नरियाँ आ बैठीं।। (२७४)सीतेन्द्र व्यथित हो बार—बार,झुक करके क्षमा याचना की ।हे नाथ! किया दुर्बुद्धिवश, सन्मति दे…