05. थोस्सामि स्तवन
थोस्सामि स्तवन स्तवन करूँ जिनवर तीर्थंकर, केवलि अनंत जिन प्रभु का। मनुज लोक से पूज्य कर्मरज, मल से रहित महात्मन् का।।१।। लोकोद्योतक धर्म तीर्थकर, श्रीजिन का मैं नमन करूँ। जिन चउबीस अर्हंत तथा, केवलि-गण का गुणगान करूँ।।२।। ऋषभ, अजित, संभव, अभिनन्दन, सुमतिनाथ का कर वंदन। पद्मप्रभ जिन श्री सुपाश्र्व प्रभु, चन्द्रप्रभ का करूँ नमन।।३।। सुविधि...