बहु/ बेटियों को सीख
बहु/ बेटियों को सीख विनोद कुमार ‘नयन’ पढ़ी लिखीं हों बेटियाँ, जाने लोकाचार। दिल जीतें ससुराल का, करें मधुर व्यवहार।। पढ़ी लिखीं तो क्या हुआ गर न आए गृह काज। जैसे नकटी को भला क्या शृंगार क्या लाज।। केवल ले लीं डिग्रियाँ, घर का काम न आए। ऐसी बहू ससुराल में, कुल का नाम लजाए।।…