तुम जन्म-जन्म का वन्दन हो!
तुम जन्म-जन्म का वन्दन हो प्राणों का पुण्य समर्पण हो, तुम जन्म-जन्म का वंदन हो हे परम आर्यिका ज्ञानमती, तुम श्वासों का अभिनंदन हो।। क्या कहे काव्य तुम पर कोई, कोई कैसे तुम पर गीत लिखे। इन हाथों से कैसे कोई, तप-त्याग-राग की रीति लिखे।। भाव नहीं मुझमें ऐसे, जो माता का अनुराग लिखूँ। ‘जिन’…