03. समवसरण स्तूप पूजा
पूजा नं.—2 समवसरण स्तूप पूजा -अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद- समवसरण में सप्तमभूमि, भवनभूमि मुनि कहते। उनमें भवन बने अति ऊँचे, देव देवियाँ वहँ रहते।। चारों गलियों में नव-नव, स्तूप बने मणियों के। उनमें रत्नमयी जिनप्रतिमा, पूजूँ श्रद्धा करके।।१।। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरसमवसरणस्थितभवनभूमिसंबंधिनवनवस्तूप-मध्यविराजमानसर्वजिनप्रतिमासमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरसमवसरणस्थितभवनभूमिसंबंधिनवनवस्तूप-मध्यविराजमानसर्वजिनप्रतिमासमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। …