01. मंगलाचरण
श्री विमलनाथ विधान मंगलाचरण कर्ममलविनिर्मुक्तो, विमलाय नमो नम:। तव नामस्मृतिर्लोकं, नैर्मल्यं कुरुते क्षणात्।।१।। चित्ते मुखे शिरसि पाणिपयोजयुग्मे। भक्तिं स्तुतिं विनतिमंजलिमंजसैव।। चेक्रीयते चरिकरीति चरीकरीति। यश्चर्करीति तव देव! स एव धन्यः।।२।। नमो नम: सत्त्वहितंकराय, वीराय भव्याम्बुजभास्कराय। अनन्तलोकाय सुरार्चिताय, देवाधिदेवाय नमो जिनाय।।३।। —पद्यानुवाद— मन में भक्ति धरें मुख से, संस्तुती करें अति भक्ति भरें। शिर से नमन करें…