नि:शल्योव्रती
नि:शल्योव्रती…. सुगंधबाला-जीजी! शल्य किसे कहते हैं? मालती-‘‘शल्यमिव शल्य’’ जो शल्य-कांटे के समान चुभती रहे-दु:ख देवे, वह शल्य है। महाशास्त्र तत्त्वार्थ सूत्र में ‘‘नि:शल्यो व्रती’’ यह सूत्र कहा है। इसका विशेष स्पष्टीकरण सर्वार्थसिद्धि, तत्त्वार्थराजवार्तिक आदि ग्रंथों में किया गया है। सर्वार्थसिद्धि में कहते हैं-‘‘शृणाति हिनस्तीति शल्यम्। शरीरानुप्रवेशिकांडादि-प्रहरणं शल्यमिव शल्यं यथा तत्प्राणिनोबाधाकारं तथा शारीरमानसबाधा-हेतुत्वात्कर्मोदयविकार: शल्यमित्युपचर्यते। तत्त्रिविधं मायाशल्यं,…