01. मंगलाचरण
श्री षट्खण्डागम विधान मंगलाचरण -शेर छंद- कृतयुग के प्रथम देव, आदिनाथ को नमूँ। प्रभु वीर तक चौबीस-जिनेश्वर को भी प्रणमूँ।। माँ भारती को ज्ञानप्राप्ति हेतु मैं नमूँ। फिर तीन लोक के समस्त सूरिवर नमूँ।।१।। आचार्य श्री धरसेन जी जग में प्रसिद्ध थे। श्री पुष्पदन्त-भूतबलि उनके शिष्य थे।। गुरु की कृपा से जो हुए श्रुतज्ञान के…