‘‘त्याग से ही संसार के सब काम चलते हैं’’ त्याग भी धर्म का अंग है, त्याग-दान से अवगुणों का समूह दूर होता है, त्याग से निर्मल कीर्ति पैâलती है, त्याग से वैरी भी चरणों में प्रणाम करता है और त्याग से भोगभूमि के सुख मिलते हैं। यह त्याग चार प्रकार का है-औषधि दान देने से…