10. पूजा नं. 9
पूजा नं. 9 स्थापना-शंभु छंद त्रिभुवन के ज्ञाता मोक्षमार्ग के नेता तीर्थंकर होते। ये कर्मभूमिभृत् के भेत्ता, सब राग द्वेष विरहित होते।। सर्वज्ञ वीतरागी हित के उपदेशी प्रभु त्रिभुवन गुरू हैं। आह्वानन कर मैं नित पूजूँ, ये सर्व हितंकर जिनवर हैं।। ॐ ह्रीं तीर्थंकराणां बृहद्वृहस्पत्यादिशतनाममंत्र समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …