मुम्बई जिनमंदिर विधान
मुम्बई जिनमंदिर विधान 01. नवदेवता पूजन 02. नवदेवता पूजन ( मराठी) 03. मुम्बई जिनमंदिर विधान
मुम्बई जिनमंदिर विधान 01. नवदेवता पूजन 02. नवदेवता पूजन ( मराठी) 03. मुम्बई जिनमंदिर विधान
मुम्बई जिनमंदिर विधान रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती (स्थापना) तर्ज – मेरे देश की धरती… मंदिर का दर्शन करो…
नवदेवता पूजन (मराठी) तर्ज-देख तेरे संसार की हालत……. नवदेवांची पूजन करतो मिळते नव निधी महान, जय जय जय नव देव…
नवदेवता पूजन (हिन्दी) गीता छन्द अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु त्रिभुवन वंद्य हैं। जिनधर्म जिनआगम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह वंद्य हैं।। नव देवता ये मान्य जग में, हम सदा अर्चा करें। आह्वान कर थापें यहाँ, मन में अतुल श्रद्धा धरें।। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु-जिनधर्मजिनागमजिनचैत्य- चैत्यालयसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
श्री शांतिभक्ति विधान 01. मंगल स्तोत्र 02. भगवान श्री शांतिनाथ जिनपूजा 03. बड़ी जयमाला
बड़ी जयमाला -दोहा- घाति चतुष्टय घातकर प्रभु तुम हुए कृतार्थ। नव केवल लब्धीरमा, उसको किया सनाथ।।१।। -शेरछंद- प्रभु दर्शमोहनीय को निर्मूल किया है। सम्यक्त्व क्षायिकाख्य को परिपूर्ण किया है।। चारित्र मोहनीय का विनाश जब किया। क्षायिक चरित्र नाम यथाख्यात को लिया।।२।। संपूर्ण ज्ञानावर्ण का जब आप क्षय किया। कैवल्य ज्ञान से त्रिलोक…
भगवान श्री शांतिनाथ जिनपूजा अथ स्थापना-गीता छंद हे शांतिजिन! तुम शांति के, दाता जगत विख्यात हो। इस हेतु मुनिगण आपके, पद में नमाते माथ को।। निज आत्मसुखपीयूष को, आस्वादते वे आप में। इस हेतु प्रभु आह्वान विधि से, पूजहूँ नत माथ मैं।।१।। ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…
मंगल स्तोत्र -पृथ्वी छंद- शतेन्द्र – मुनिवृंद – वंदित – मनोज्ञ – सौन्दर्यभृत्। सुषोडश च तीर्थकृत् त्वमिह पंचमश्चक्रभृत्।। स्तुते त्वयि च पूज्यपाद-मुनिनामले स्तो दृशौ। ममापि खलु शान्तिनाथ! वितनु प्रसन्नां दृशम्।।१।। -शम्भु छन्द– सौ इन्द्र वंद्य मुनिवृंदवंद्य, बारहवें कामदेव सुन्दर। षोडश तीर्थंकर शांतिनाथ! प्रभु आप पाँचवें चक्रेश्वर।। स्तोता मुनि पूज्यपाद की, तुमने दृष्टी…
पूजा नं. 2 श्री अजितनाथ जिन पूजा -अथ स्थापना-गीता छंद- इस प्रथम जम्बूद्वीप में, है भरतक्षेत्र सुहावना। इस मध्य आरजखंड में, जब काल चौथा शोभना।। साकेतपुर में इन्द्र वंदित, तीर्थकर जन्में जभी। उन अजितनाथ जिनेश को, आह्वान कर पूजूँ अभी।।१।। ॐ ह्रीं श्रीअजितनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीअजितनाथतीर्थंकर! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…