05. अड़तालिसविध संकट निवारक मुनिसुव्रतनाथ के 48 अर्घ्य
अड़तालिसविध संकट निवारक मुनिसुव्रतनाथ के 48 अर्घ्य दोहा वर्तमान के बहुत विध, कष्ट स्वयं हो दूर। पुष्पांजलि से पूजते, मिले सौख्य भरपूर।।१।। अथ प्रथमवलये मण्डलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्। शेर छंद जब मेघ अतीवृष्टि से भू जलमयी करें। नदियों की बाढ़ में…