भक्तामर मण्डल विधान
भक्तामर मण्डल विधान 01. श्री भक्तामर पूजा 02. भक्तामर स्तोत्र अर्घावली 03. ऋद्धि अर्घ्य 04. जयमाला 05. भक्तामर मण्डल विधान की आरती 06. श्री भक्तामर जी का भजन 07. णमोकार चालीसा 08. सम्मेदशिखर टोंक वन्दना 09. भक्तामर व्रत विधि ***
भक्तामर मण्डल विधान 01. श्री भक्तामर पूजा 02. भक्तामर स्तोत्र अर्घावली 03. ऋद्धि अर्घ्य 04. जयमाला 05. भक्तामर मण्डल विधान की आरती 06. श्री भक्तामर जी का भजन 07. णमोकार चालीसा 08. सम्मेदशिखर टोंक वन्दना 09. भक्तामर व्रत विधि ***
भक्तामर व्रत विधि विधि-जैन समाज में भक्तामर स्तोत्र सबसे अधिक प्रसिद्धि को प्राप्त है। इसकी महिमा के विषय में सभी लोग जानते हैं कि श्री मानतुंगमहामुनि ने इस स्तोत्र की रचना की है, एक-एक काव्य के प्रभाव से एक-एक ऐसे अड़तालीस ताले टूट गये हैंं और अतिशय चमत्कार हुआ है। यह श्री आदिनाथ भगवान का…
सम्मेदशिखर टोंक वन्दना रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती तीर्थराज सम्मेदशिखर है, शाश्वत सिद्धक्षेत्र जग में। एक बार जो करे वन्दना, वह भी पुण्यवान सच में।। ऊँचा पर्वत पार्श्वनाथ हिल, नाम से जाना जाता है। जिनशासन का सबसे पावन, तीरथ माना जाता है।।१।। जब प्रत्यक्ष करें यात्रा, उस पुण्य का वर्णन क्या करना। लेकिन प्रतिदिन भी परोक्ष में,…
णमोकार चालीसा रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती -दोहा- वंदूँ श्री अरिहंत पद, सिद्ध नाम सुखकार। सूरी पाठक साधुगण, हैं जग के आधार।।१।। इन पाँचों परमेष्ठि से, सहित मूल यह मंत्र। अपराजित व अनादि है, णमोकार शुभ मंत्र।।२।। णमोकार महामंत्र को, नमन करूँ शतबार। चालीसा पढ़कर लहूं, स्वात्मधाम साकार।।३।। -चौपाई- हो जैवन्त अनादिमंत्रम्, णमोकार अपराजित मंत्रम् ।।१।। पंच पदों…
श्री भक्तामर जी का भजन -पं. हीरालाल कौशल श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रात, भक्ति मन लाई। सब संकट जायें नशाई।। जो ज्ञान-मान-मतवारे थे, मुनि मानतुंग से हारे थे। उन चतुराई से नृपति लिया, बहकाई।।सब संकट.।।१।। मुनि जी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था। मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई।।सब संकट.।।२।।…
भक्तामर मण्डल विधान की आरती -आर्यिका चन्दनामती भक्तामर मण्डल विधान की, आरति करलो आज। आदि प्रभो के दर्शन से ही, बनते सारे काज।। ओ जिनवर! हम सब उतारें तेरी आरती…………. कृतयुग के हे प्रथम जिनेश्वर, जग के तुम निर्माता। अषि मषि आदिक क्रिया बताकर, बन गए आदि विधाता।। जिनवर! हम सब उतारें तेरी आरती……….।।१।। कोड़ाकोड़ी…
जयमाला भक्तामर के अधिपति जिनवर की, पूजन से शिवद्वार मिले। पुरुदेव युगादिपुरुष के अर्चन, से सुख का भंडार मिले।। गर्भागम के छह मास पूर्व, रत्नों की वृष्टि हुई नभ से। माता मरुदेवी नाभिराय भी, अपना जन्म धन्य समझे।। जनता ने जयजयकार किया, साकेतपुरी के भाग्य खिले। भक्तामर के अधिपति जिनवर की, पूजन से शिवद्वार मिले।।१।।…
ऋद्धि अर्घ्य ॐ ह्रीं अर्हं णमो जिणाणं झ्रौं झ्रौं नम: स्वाहा अर्घ्यम्।।१।। ॐ ह्रीं अर्हं णमो ओहिजिणाणं झ्रौं झ्रौं नम: स्वाहा अर्घ्यम्।।२।। ॐ ह्रीं अर्हं णमो परमोहिजिणाणं झ्रौं झ्रौं नम: स्वाहा अर्घ्यम्।।३।। ॐ ह्रीं अर्हं णमो सव्वोहिजिणाणं झ्रौं झ्रौं नम: स्वाहा अर्घ्यम्।।४।। ॐ ह्रीं अर्हं णमो अणंतोहिजिणाणं झ्रौं झ्रौं नम: स्वाहा अर्घ्यम्।।५।। ॐ ह्रीं अर्हं…
भक्तामर स्तोत्र अर्घावली भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा- मुद्योतकं दलित-पाप-तमो-वितानम्। सम्यक्प्रणम्य जिन-पाद-युगं युगादा- वालम्बनं भव-जले पततां जनानाम् ।।१।। आदिपुरुष आदीश जिन, आदि सुविधि करतार। धरम धुरन्धर परम गुरु, नमों आदि अवतार।। सुरनत-मुकुट रतन छवि करें, अन्तर पाप तिमिर सब हरें। जिनपद वन्दों मनवचकाय, भवजल पतित-उधरन सहाय।। ॐ ह्रीं प्रणतदेवसमूह मुकुटाग्रमणिद्योतकाय महापापान्धकार विनाशनाय श्रीआदिपरमेश्वराय अर्घ्यम् निर्वपामीति स्वाहा।।१।। य: संस्तुत: सकल-वाङ्मय-तत्त्वबोधा-…
श्री भक्तामर पूजा -स्थापना- अर्चन करो रे, श्री आदिनाथ के चरण कमल का, अर्चन करो रे। अर्चन करो, पूजन करो, वंदन करो रे, श्री ऋषभदेव के चरण कमल मेंं, वन्दन करो रे।। भक्त अमर भी जिन चरणों में, आकर शीश झुकाते हैं। निज मुकुटों की मणियों से, अद्भुत प्रकाश फैलाते हैं।। युग के प्रथम जिनेश्वर…