01. प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर विधान
प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर विधान (लघु) -गणिनी ज्ञानमती आचार्य श्री शांतिसागर वन्दना -उपजाति छन्द- सुरत्नत्रयै: सद्व्रतैर्भ्राजमान:। चतु:संघनाथो गणीन्द्रो मुनीन्द्र:।। महा-मोह-मल्लैक-जेता यतीन्द्र:। स्तुवे तं सुचारित्रचक्रीशसूरिम्।।१। -दोहा- शांतिसागराचार्य को, नमूँ नमूँ शत बार। सम्यक् चारित प्राप्त हो, मिले स्वात्मनिधि सार।।१।। -शंभु छंद- दक्षिण भारत के भोजग्राम में, धर्मनिष्ठ श्रेष्ठी प्रसिद्ध। पाटील भीमगौंडा उन भार्या-सत्यवती पतिव्रता सिद्ध।। ईस्वी सन्…