07. काकन्दी तीर्थ पूजा
काकन्दी तीर्थ पूजा (स्थापना) तर्ज-आओ बच्चों…….. चलो चलें काकन्दी नगरी, पुष्पदन्त…
काकन्दी तीर्थ पूजा (स्थापना) तर्ज-आओ बच्चों…….. चलो चलें काकन्दी नगरी, पुष्पदन्त…
श्री चन्द्रपुरी तीर्थ पूजा (स्थापना) शंभु छन्द अष्टम तीर्थंकर चन्द्रप्रभू की, जन्मभूमि है चन्द्रपुरी। गर्भागम से केवलज्ञानी, बनने तक पावन हुई मही।। उस चन्द्रपुरी तीरथ की पूजन, से पहले आह्वानन है। स्थापन सन्निधिकरण सहित, जन्मस्थल का आराधन है।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीचन्द्रप्रभजन्मभूमिचन्द्रपुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
वाराणसी तीर्थ पूजा स्थापना (शंभु छंद) जिस वाराणसि नगरी का हमने, नाम सुना है ग्रंथों में। जो पावन और पवित्र सुपारस, पार्श्वनाथ के चरणों से।। उस जन्मभूमि तीरथ की पूजन, हेतु करूँ आह्वानन मैं। स्थापन सन्निधिकरण करूँ, वाराणसि तीर्थ का अर्चन मैं।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकर श्रीसुपार्श्वनाथ पार्श्वनाथ जन्मभूमि वाराणसी तीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
कौशाम्बी तीर्थ पूजा तर्ज- आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं…… पदमचिन्ह युत पदमप्रभू की, जन्मभूमि वन्दना करें। कौशाम्बी शुभ तीर्थ ऐतिहासिक, की हम अर्चना करें।। …
श्रावस्ती तीर्थ पूजा स्थापना (शंभु छंद) श्री संभव जिन के जन्मकल्याणक, से पावन श्रावस्ती है। जहाँ मात सुषेणा के आँगन में, हुई रत्न की वृष्टी है।। उस श्रावस्ती तीरथ की पूजन, करके पुण्य कमाना है। आह्वानन स्थापन करके, आत्मा में तीर्थ बसाना है।। ॐ ह्रीं तीर्थंकर श्रीसंभवनाथ जन्मभूमि श्रावस्तीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
अयोध्या तीर्थ पूजा अथ स्थापना तर्ज-गोमटेश, जय गोमटेश…… आदिनाथ, जय आदिनाथ, मम हृदय विराजो-२ हम यही भावना करते हैं। भावना करते हैं,…
तीर्थंकर जन्मभूमि तीर्थ पूजा समुच्चय पूजा स्थापना (शंभु छन्द) तीर्थंकर श्री ऋषभदेव से, महावीर तक करूँ नमन। चौबीसों जिनवर की पावन, जन्मभूमियों को वन्दन।। जैनी संस्कृति के दिग्दर्शक, इन तीर्थों का करूँ यजन। मेरी आत्मा बने अजन्मा, जन्मभूमि का कर पूजन।।१।। दोहा आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण प्रधान। पूजन के प्रारंभ में, है यह विधि महान।।२।। ॐ…
नवदेवता विधान 01. नवदेवता विधान 02. अर्हन्त पूजा 03. सिद्ध पूजा 04. आचार्य पूजा 05 . श्री उपाधयाय पूजा 06. सर्वसाधु पूजा 07. जिनधर्म पूजा 08. जिनागम पूजा 09. जिनचैत्य पूजा 10. जिनचैत्यालय पूजा 11. बड़ी जयमाला
बड़ी जयमाला -दोहा- विश्ववंद्य नवदेवता, नवलब्धी दातार। नमूँ नमूँ नितभक्ति से, भरूँ सुगुण भंडार।।१।। -शंभु छंद- जय जय अर्हंत देव जिनवर, जय जय छ्यालिस गुण के धारी। जय समवसरण वैभव श्रीधर, जय जय अनंत गुण के धारी।। जय जय जिनवर केवलज्ञानी, गणधर अनगार केवली सब। जय गंधकुटी में दिव्यध्वनी, सुनते असंख्य सुर नर पशु सब।।२।।…
(पूजा नं.-10) जिनचैत्यालय पूजा -अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद- त्रिभुवन के जिनमंदिर शाश्वत, आठ कोटि सुखराशी। छप्पन लाख हजार सत्यानवे, चार शतक इक्यासी।। व्यंतर ज्योतिष सुरगृह में हैं, असंख्यात जिनमंदिर। ढाईद्वीप के कृत्रिम जिनगृह, पूजूँ सर्व हितंकर।।१।। ॐ ह्रीं श्रीजगत्त्रयवर्तिजिनचैत्यालयसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ…