धनलिप्सा सांसारिक जीवन को संचालित करने के लिए धन-संसाधन आवश्यक हैं , लेकिन ऐसा कभी नहीं होना चाहिए कि केवल वही हमारे जीवन का उद्देश्य बनकर रह जाय | आवश्यकता से अधिक धन की लिप्सा का भाव हमारे भीतर अवगुणों का बीजारोपण करता है |इसके कारण हम रुग्ण हो जाते हैं | यह रोग धन…
संस्कृति और संस्कार भारत की श्रेष्ठता अपने संस्कारों के कारण है | इन संस्कारों की आधारशिला हमारे ऋषियों ने रखी थी | भारतीय जीवन मूल्यों में १६ संस्कारों का समावेश है | जीवन संस्कारों की वेदी पर चढ़कर ही निखरता है | भारतीय संस्कृति के संस्कारयुक्त होने के कारण ही इसे विश्व की आदि संस्कृति…
सक्रियता हमारे धर्मग्रंथों में उल्लिखित है-‘चरैवेति चरैवेति ‘ अर्थात चलते रहो ,क्योंकि जीवन का दूसरा अर्थ ही चले जाना है | ‘भौतिक जगत की यात्रा जन्म से प्रारंभ होती है एवं मृत्यु पर जाकर समाप्त होती है | मनुष्य की स्वांस एवं धड़कन भी जन्म से मृत्यु तक अनवरत रूप से चलती रहती है |दोनों…