अंतिम आशीर्वाद
अंतिम आशीर्वाद श्लोकार्थ-जन्म-जन्म में किये हुए ताप का लोप करने में प्राय: शुद्ध निजतत्त्व के ज्ञान स्वरूप, मोक्षरूप एक अद्वितीय पद उस पदस्वरूप कार्य को उत्पन्न करने वाली ऐसी जो जिनशासनरूपी लक्ष्मी है उसके लिए भद्र-कल्याण होवे।।१।। भावार्थ-जो जिनशासन भव्यजीवों के जन्म-जन्म के संताप को दूर करने में समर्थ ऐसे शुद्ध आत्मा तत्त्व का बोध…