पूर्व पुष्करार्धद्वीप भरतक्षेत्र भूतकालीन तीर्थंकर स्तोत्र
पूर्व पुष्करार्धद्वीप भरतक्षेत्र भूतकालीन तीर्थंकर स्तोत्र -नरेन्द्र छंद- पूरब पुष्करार्ध में दक्षिण, दिश में क्षेत्र सुहाता। षट्खंडों युत षट्कालों युत, ‘भरत’ नाम को पाता।। आर्यखंड में चौथे युग के, जो तीर्र्थेश हुए हैं। उनको हम मन-वच-तन करके, वंदे भक्ति लिये हैं।।१।। -गीता छंद- ‘दमनेन्द्र’ तीर्थंकर जगत में, सर्वसंपति हेतु हैं। शतइंद्र से वंदित निरंतर, भवोदधि…