आश्रम (Aashram)
आश्रम (Aashram) चारित्रसार पृ ४१ पर लिखा है- ब्रह्ममचारी, गृहस्थयश्च, वानप्रस्थश्च भिक्षुक:। इत्याश्रमास्तु जैनानां, सप्तमांगाद्विनि:सृता:।। ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ और भिक्षुक जैनों के ये चार आश्रम होते हैं ऐसा सप्तम उपासकाध्ययन अंग में बताया गया है। इन चार आश्रमों में सबसे प्रथम ब्रह्मचर्य आश्रम बतलाया गया है इसका अभिप्राय यह है कि कोई भी पहले कुमारकाल…